यूनिकोसंवृद्धि का सशक्तिकरण भारत की एमएसएमई क्रांति के लिए रोडमैपः एमडी पीएनबी

देहरादून। भारत का आर्थिक भविष्य उसके एमएसएमई क्षेत्र के सतत वृद्धि और सशक्तिकरण पर निर्भर करता है। अतः, इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है, जो देश की उद्यमशीलता की भावना और आर्थिक लचीलापन को बढ़ावा देता है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत, निर्यात में लगभग 46 प्रतिशत का योगदान करने और कारोबारी क्षेत्र में श्रमशक्ति को 62 प्रतिशत रोजगार प्रदान करने वाला एमएसएमई भारत की आर्थिक रीढ़ हैं। 25 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले 5.93 करोड़ एमएसएमई की भूमिका को क्षेत्रीय विकास, आजीविका सृजन और औद्योगिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, इन संभावनाओं के बावजूद एमएसएमई को ऋण संबंधी बाधाओं, सीमित बाजार पहुंच और बुनियादी संरचना की बाधाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनका समाधान करने के लिए एक मजबूत प्रणालीगत सहयोग की आवश्यकता है।
पंजाब नेशनल बैंक के एमडी एवं सीईओ अशोक चंद्र का कहना है कि एमएसएमई को भारत के वित्तीय समावेशन एजेंडा के केंद्र में होना चाहिए। सरकार ने क्रेडिट गारंटी बढ़ाने से लेकर एमएसएमई क्रेडिट कार्ड और महिला, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति  उद्यमियों को लक्षित करके योजनाएं शुरू कर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। केंद्रीय बजट 2025-26 में इस क्षेत्र के लिए घ्23,168 करोड़ का आवंटन इस प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। बैंक भी अखिल भारतीय और मासिक एमएसएमई आउटरीच कार्यक्रमों जैसी पहलों के माध्यम से अपने प्रयासों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। इस गठित को बनाए रखने और इस क्षेत्र के लिए निरंतर सहयोग सुनिश्चित करने के लिए, डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऋण वितरण में तेजी लाने, वैकल्पिक क्रेडिट मूल्यांकन मॉडल अपनाने और सीजीटीएमएसई व पीएमईजीपी जैसी योजनाओं की पहुंच का विस्तार करने की तत्काल आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त क्लस्टर-आधारित ऋण को बढ़ावा देने से एमएसएमई ईकोसिस्टम और मजबूत होगा। डिजिटल स्वीकार्यता एक क्रांतिकारी महत्वपूर्ण परिवर्तन साबित हो रहा है। एआई-संचालित क्रेडिट मूल्यांकन से लेकर रियल टाइम में ऋण निगरानी तक, डिजिटल नवाचार दोनों की पहुंच और दक्षता बढ़ा रहे हैं। उद्यम, ओएनडीसी, और ट्रेड्स जैसे सरकारी प्लेटफॉर्म अनुपालन और बाजार की पहुंच को सरल बना रहे हैं।
वित्तीय संस्थानों को ऐसे निवेशों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो छोटे कारोबारों को सशक्त बनाते हैं, जिसकी शुरुआत डिजिटल साक्षरता बढ़ाने, इन्वेंट्री प्रबंधन, बिलिंग और अनुपालन के लिए किफ़ायती एसएएएस प्लेटफॉर्म तक पहुंच प्रदान करने से होती है ताकि परिचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके। इसके अतिरिक्त एआई-समर्थित ग्राहकों को जोड़ने वाले टूल्स से ग्राहकों के अनुकूल वित्तीय उत्पाद प्रदान करने में मदद मिलेगी, यह सुनिश्चित होगा कि समाधान प्रासंगिक, सुलभ और प्रभावशाली हों। ग्रामोद्योगों व कारीगरों के लिए ऋण सीमा बढ़ाने संबंधी हाल ही में जारी आरबीआई के दिशानिर्देशों और डेटा-संचालित जोखिम प्रबंधन की ओर बदलाव के साथ वातावरण विकसित हो रहा है। एमएसएमई  को सशक्त बनाने के लिए एक अधिक उत्तरदायी ऋण प्रणाली की आवश्यकता है। इसमें ऋण अनुमोदन के लिए टर्नअराउंड टाइम (टीएटी) को कम करना, लीड को परिवर्तित करने और ग्राहक प्रबंधन को बढ़ाने के लिए सीआरएम टूल को एकीकृत करना, और क्षेत्र-विशिष्ट वित्तीय उत्पादों को डिजाइन करना शामिल है।