श्रद्वालुओं के ‘दाता’ की कमी सदैव अखरेगी

-सिद्धपीठ चन्द्रबदनी मंदिर के मुख्य पुजारी के निधन से टिहरी में शोक
देहरादून। श्री चन्द्रबदनी सिद्धपीठ के मुख्य पुजारी रहे पंडित दाता राम भट्ट के निधन से टिहरी जिले में शोक छा गया। सामाजिक सरोकारों के साथ ही सदैव श्रद्वालुओं की आवाभगत में रहने वाले दाता राम जतो नाम ततो गुण की कहावत को चरित्रार्थ करते थे।
देवप्रयाग विकासखण्ड के पुजार गांव के मूल निवासी दाताराम जी श्री चन्द्रबदनी मंदिर के जीर्णाेद्वार में अगुवा रहे। केरल के स्वामीमन मंथन द्वारा यहाँ पर बली प्रथा के खिलाफ अवाज उठायी गयी जिसका उन्हें भरपुर समर्थन मिला। उन्हीकी अगुवाई में गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना का आन्दोलन भी कई समय तक चला जिसमें दाताराम जी जैसे अनेकों लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। वन अधिनियम को लचीला बनाने के साथ ही पहाड़ मे ंशराब बन्दी के आन्दोलन में भी इस टीम ने काफी समय तक क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ से सामाजिक क्रांति का बिगुल फूंका।
सत्तर के दशक में दाताराम जी पुजार गांव के निर्विरोध प्रधान चुने गये और बीस साल तक वह इस पद पर रहे। श्री चन्द्रबदनी मंदिर के भव्य निर्माण के बाद इस क्षेत्र में सिद्धपीठ में आने वाले श्रद्वालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। यहाँ उन्होंने सेवाभाव से सभी को नवाजा और निरन्तर विकास कार्यों से क्षेत्र में एक नई अलख जगाई।
मंदिर परिसर के समीप स्थित नैखरी में श्रीचन्द्रबदनी महाविद्यालय की स्थापना के आन्दोलन में भी उनका विशेष योगदान रहा। सेवा भाव के साथ ही वे सामाजिक सरोकारों में भी सदैव अग्रणीय रहे। पिछले काफी समय से वे यहाँ देहरादून के बालावाला स्थित अपने पुत्र राकेश भट्ट के साथ रहकर अपनी सक्रियता बनाये हुए थे। अस्वस्थ होने के बावजूद उनकी चिन्ता यही रहती थी कि मंदिर को ओर भव्यता दी जायें। 9 मार्च 2024 को उनका आकस्मिक निधन हो गया जिस पर पूरे टिहरी जिले के साथ ही उत्तराखण्ड और देश के अन्य हिस्सों में मंदिर के श्रद्वालुओं को गहरा आघात लगा। पूर्व मंत्री श्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने उनके निधन पर कहा की एक अध्याय समाप्त हो गया है। इसकी भरपाई सम्भव नहीं है।